नील नदी का तोहफा ---Egypt

नील  नदी का तोहफा  ---Egypt  (The Gift of Nile-- Egypt)
किसी अन्य देश की यात्रा करना अपने आप में एक अनोखा अनुभव है। और यही यात्रा अगर आप Egypt  की कर रहे हैं तो क्या कहने। मिस्र की घाटियों के बारे में मैंने  बचपन से सुना था।  मैं  हमेशा सोचती थी  कि  कैसे होंगे पिरामिड ? क्या तस्वीरों जैसे ही दिखते  होंगे? तरह तरह के सवाल मन में आते थे। और जब मुझे सचमुच Egypt जाने का मौका मिला तो मेरी ख़ुशी का ठिकाना न रहा। Egypt अफ्रीका महादेश का एक ऐसा देश है जो अपनी सांस्कृतिक  धरोहर के लिए जाना जाता है।भारत से इसकी दूरी  4500 किलो मीटर है। वहां की मुद्रा Egyptian pound है। वहां का समय हमारे समय से करीब तीन घंटे पीछे है। वहां जाने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर  से मार्च तक है, अन्यथा गर्मी बहुत ज्यादा होती है। मेरा Egypt जाने का कार्य क्रम नवम्बर महीने में दिवाली की छुट्टियों में बना।
       

यात्रा का पहला कदम है वीसा। जो आपको दिल्ली , मुंबई या कोलकाता से आसानी से मिल जाता है। यदि आप पटना के निवासी हैं तो आपको दिल्ली या मुंबई जाकर वहां से  विमान लेना होगा। इस यात्रा के लिए आप किसी ट्रेवल एजेंट से पैकेज ले सकते हैं ।  दिल्ली के इंदिरा गाँधी इंटरनेशनल हवाई अड्डे पर यात्रा के दिन मैंने सुबह उडान  के तीन घंटे पहले अपने परिवार के साथ चेक इन किया। हमने थोड़े से डॉलर दिल्ली के एअरपोर्ट पर ले लिए थे।  साथ में कुछ डॉलर रखना सुरक्षित होता है क्योंकि डॉलर हर देश में चलते हैं। बाकी आजकल आप अपने डेबिट कार्ड से हर देश में पैसे निकाल सकते हैं। बस आपका कार्ड वीसा कार्ड होना चाहिए। इमीग्रेशन और सिक्योरिटी चेक के बाद हमे थोड़ी देर इंतजार करना पड़ा। आधा घंटे पहले बोर्डिंग शुरू हो गयी और हम विमान में बैठ गए।यात्रा के समय अपने पासपोर्ट की सुरक्षा का ध्यान रखें।  विमान दिल्ली से चलकर पाँच  घंटे में  Jordon( जौरडन ) के क्वीन आलिया इंटरनेशनल एअरपोर्ट  पंहुचा जहाँ हमे विमान बदलना था। वहां हमे तीन घंटे बाद दूसरा विमान मिला।  जौरडन से हम एक घंटे में Cairo( कायरो ) इंटरनेशनल एअरपोर्ट  पहुँच गए। वहां पहुंचकर हमने करीब चार बजे  होटल में चेक इन किया। होटल हमने Giza( गीज़ा ) में लिया था क्योकि पिरामिड वहीँ स्थित हैं। रात को हम वहां का  मशहूर खान --अल --खलिली  बाज़ार देखने गए। उस बाज़ार में जाकर ऐसा लगता है जैसे अली बाबा के ज़माने में आ गए। चीज़ें देखकर आँखे चकाचौंध हो जाती हैं। पर हाँ, वहां टूरिस्ट को ठगने  का सतत प्रयास जारी रहता है अतः आप सावधान रहें।  आने जाने के लिए वहां टैक्सी उपलब्ध है जो ज्यादा  महंगी नहीं है। रात का खाना भी हमने वहीँ खाया जो अरेबियन तरीके का था। हमने छोटी मोटी खरीददारी भी की।

       
दूसरे  दिन हमने दिन भर के लिए एक टैक्सी बुक कर ली। सबसे पहले हम great Pyramids of Giza( ग्रेट पिरामिड ऑफ़ गीज़ा ) देखने गए। उन भव्य ज्यामितीय रचनाओं को देखकर तो विश्वास  ही नहीं होता कि  ये 4000 साल से ज्यों के त्यों खड़े हैं। मुख्य पिरामिड 480 फीट ऊँचा है जिसे  बनाने में तीस वर्ष लगे थे। एक एक पत्थर करीब 80 टन का है।  पिरामिड दुनिया के सात आश्चर्यों में से एक है, जो सचमुच अपने आप में  अद्भुत  है।। इतनी  विशाल रचना सिर्फ बाहर  से ही नहीं अन्दर से भी देखी जा सकती है। अन्दर दो कमरे बने है जो king's और queen's  चैम्बर के नाम से जाने जाते हैं,जिसे देखने के लिए अलग से टिकट लगता है। अन्दर जाने के लिए एक संकरा सा रास्ता है।  यदि आप पूरी तरह फिट हैं तभी अन्दर जाने का टिकट  लें। उस परिसर में  कुल नौ पिरामिड हैं जिन्हें देखने के बाद हमने Sphinx( स्फिंक्स ) देखा। स्फिंक्स का शरीर सिंह का है और सर मनुष्य का है। ये वहां के ताकतवर राजाओं का प्रतिनिधित्व करता है। इसके बाद हम Saqqara( सक्कारा ) के पिरामिड देखने गए। वहां Step  पिरामिड और bent  पिरामिड देखने को मिलते हैं। साथ ही वहां कई भव्य  अवशेष हैं। यही पर सिंग इज़  किंग फिल्म की शूटिंग हुई थी। सारे पिरामिड देखकर हम करीब पांच बजे होटल आ गए। थोड़ी देर आराम करने के बाद हमने स्टेशन की ओर प्रस्थान किया क्योंकि हमे Aswan ( आसवान ) की ट्रेन लेनी थी।
 
Egypt में दो तरह की रेल सेवा है। स्लीपर ट्रेन और सिटींग ट्रेन। हमने स्लीपर ट्रेन ली जो अपने आप में एक सुखद अनुभव था। ट्रेन के attendent अति शिष्ट थे और रात के भोजन से लेकर सुबह उतरने तक उन्होंने हमारा ध्यान रखा। आसवान  में हमने cruise( क्रूज ) पर दो दिन की बुकिंग कराई थी। क्रूज वाले स्टेशन पर हमें लेने आ गए।  क्रूज दो बजे खुलने वाला था। रास्ते  में क्रूज चार जगहों पर एंकर करने वाला था जहाँ विशेष चीज़ें देखने को मिलती हैं। हमने अपने कमरे में चेक इन किया। उसके बाद  हम विश्व प्रसिद्ध आसवान हाई  डैम देखने निकल पड़े।  साफ़ स्वच्छ नील नदी के  नीले नीले पानी पर बना डैम Egypt की जान होने के साथ साथ पर्यटकों  की आँखों को भी तरावट देता है। यह डैम  1970 में दस वर्षों की मेहनत से तैयार हुआ था। आसवान डैम और नील नदी Egypt  की जीवन रेखा हैं। नील नदी के दोने किनारों पर ही मिस्र की सभ्यता का विकास हुआ था। डैम देखने के बाद हम फिले टेम्पल देखने गए जो कि नासर झील में एक  टापू पर स्थित है। वहां हम मोटर बोट से पहुंचे। यह टेम्पल प्राचीन मिस्र सभ्यता की एक अदभुत  रचना है। 
       
अब एक बज चुका था और दो बजे हमारा क्रूज चलने वाला था।समय को ध्यान में रखते हुए  हमें जल्दी जल्दी वापस आना पड़ा। दोपहर केसमय हमने डेक पर जाकर यात्रा का आनंद लिया। नदी के दोनों तरफ एक एक किलोमीटर तक हरियाली और उसके बाद रेगिस्तान। ऊपर साफ़ नीला आसमान। सचमुच ऐसा प्राकृतिक सौंदर्य बिरले ही देखने को मिलता है।
 
 शाम छः बजे हम कोम ओम्बो टेम्पल पहुंचे। यहाँ पर क्रूज सिर्फ आधा घंटा रुका।यह नील नदी के बिल्कुल  किनारे पर ही स्थित  है। यह 2200  पुरानी एक भव्य रचना है जो क्रोकोडाइल  God Sobek( गॉड सोबेक ) को समर्पित की गयी है। वहां  साथ में क्रोकोडाइल म्यूजियम भी है जहाँ मगरमच्छों की ममी रखी  हैं। हमारी यात्रा आठ बजे फिर शुरू हो गई। रात में हमें  क्रूज  की लाइब्रेरी में कुछ किताबें भी पढने का अवसर मिला। सुबह छः बजे Edfu( एड्फू )  में क्रूज ने एंकर किया। वहां से हम विक्टोरिया  से एड्फू  टेम्पल देखने गए जो नील नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है। ये  भव्य रचना God Horus( गॉड होरस )  को समर्पित है। यहाँ  के राजाओं के सन्देश Hierography ( हाईरोग्राफी )  में देखने  को मिलते हैं। आठ बजे तक हमें वापस आना था। क्रूज फिर चल पड़ा। दिन हमने डेक  पर बिताया जहाँ विभिन्न देशों से आये लोगों से हुमारी जान पह्चान हुई। हमने ये महसूस किया कि हर देश के पर्यटक Egypt में पाई जाने वाली बिरली चीज़ों के कायल हो चुके थे।
       

शाम छः बजे  हम Luxor( लुक्सर  ) पहुंचे जहाँ का टेम्पल बहुत मशहूर है। रात में तो यह और भी भव्य लग रहा था।इसे  मिस्र के राजा  तुतनखामुन ने 3400 वर्ष पहले पूरा किया था। टेम्पल में पीछे की तरफ काले पत्थर का एक shrine है जो Alexander the Great को समर्पित किया गया है।  आठ बजे हम फिर वापस आ गए। क्रूज पर हमें Egypt का पारम्परिक  बेली डांस और Tanoura( तनौरा ) डांस देखने को मिला। 

       
सुबह हमने क्रूज से चेक आउट कर लिया और लुक्सर के वेस्ट बैंक से फेरी द्वारा ईस्ट बैंक पर आ गए। वहां हमे किंग्स वैली देखने जाना था। ये वैली एक ऐसी वैली है जहाँ 62 राजाओं के tomb  देखने को मिलते हैं। तुतनखामुन  के tomb  से पाई गयी चीज़ें देखने के बाद आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रहा जा सकता। 3400 साल पहले भी राजाओं द्वारा इस्तेमाल की गयी चीज़ें आज की चीज़ों से भी बेहतर लग रही थी। शाम को हम लुकसर  वापस आ गए और हमने कैरो की ट्रेन ले ली।
 
हम सुबह 9 बजे कैरो वापस पहुंचे। यहाँ हमने नील नदी के सामने ही एक होटल लिया था। ये शहर के बीचोबीच था। सबसे पहले हम कैरो म्यूजियम देखने गए। वहां107 कमरे हैं जहाँ 1,60,000 चीज़ें रखी हैं, जो करीब 5000 वर्ष पुरानी हैं। यह म्यूजियम सिर्फ Egypt  ही नहीं पूरे  विश्व की धरोहर है। एक बार वहां जाने के बाद ऐसा लगता है की आप इस म्यूजियम में महीने भर रहें तो कम पड़ेगा। एक एक चीज़ अनमोल है। वहां हमने 33 राजसी  ममी  भी देखा।  उसके बाद हम सिटाडेल और हैंगिंग चर्च  देखने गए। तबतक शाम हो गयी थी। शाम  हमने एक मॉल में बितायी  जो काफी आलिशान था। इस तरह से हमारी छः दिन की यात्रा समाप्त हुई और हमें सुबह वापसी का हवाई  जहाज लेना था।
 
 सुबह हमने नौ बजे अपना विमान बोर्ड कर लिया। वापसी में हमने Jordon( जौरडन)   में दो दिनों की  ब्रेक जर्नी लेकर विश्व प्रसिद्ध डेड सी देखा। यह खारे पानी की एक ऐसी झील है जिसमे नमक इतनी ज्यादा मात्रा  में है कि  उसमे कोई  डूबता नहीं। 
       
एक दिन हमने Petra( पेट्रा ) सिटी भी देखा जहाँ करीब 5 वर्ग  किलोमीटर में 4000 वर्ष पुरानी  सभ्यता के आश्चर्यजनक अवशेष हैं। जौरडन  से दो दिन बाद हमने  रात 9 बजे का विमान लिया और सुबह 5 बजे हमे अपने देश की मिट्टी की सुगंध का सुखद अहसास हुआ। पिछला हफ्ता अब एक स्वप्न की तरह महसूस हो रहा था। जो अनुभव मैंने इस हफ्ते प्राप्त किया सचमुच अनमोल था। मुझे ख़ुशी होगी , अगर आप मेरे अनुभव से लाभ उठाएंगे और पिरामिड का शहर देखने का कार्यक्रम बनायेंगे।   
 

Quick View:
  •  Egypt जाने का उचित समय अक्टूबर से मार्च है। अन्य महीनो में बहुत गर्मी होती है।
  •  दिल्ली से इजिप्ट की दूरी 4500 km है। वहां की मुद्रा इजिपशियन पाउंड है।
  • अपने पासपोर्ट का सदा ध्यान रखें। विदेश में वही आपकी पहचान है।
  • विदेशी मुद्रा अब डेबिट कार्ड से भी निकली जा सकती है।
                                                                   

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